April 25, 2024

अब अमेरिका ने पैदा की चांद पर परमाणु होड़ की आशंका, 2027 तक लगाएगा बिजली संयंत्र।*

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अमेरिका अब चांद पर परमाणु होड़ होने की संभावना बन रही है। अमेरिका ने चांद पर 2027 तक परमाणु बिजली संयत्र लगाने का एलान कर दिया है। हाल ही में जारी अमेरिका की अंतरिक्ष नीति निदेशिका- 6 (एसपीडी- 6) में कहा गया है कि चांद की सतह पर परमाणु विखंडन (फिसन) ऊर्जा सिस्टम लगाया जाना चाहिए। ये सिस्टम ऐसा होना चाहिए, जिससे 40 किलोवाट या उससे ज्यादा बिजली पैदा हो सके। एसपीडी- 6 में अंतरिक्ष के लिए अमेरिका की ऐसी ही राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा और संचालन रणनीति बनाने की सोच शामिल की गई है।

इस खबर पर चीन में कड़ी प्रतिक्रिया हुई है। चीन की मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि अमेरिका की इस महत्त्वाकांक्षा से भविष्य में चांद पर सैनिक होड़ होने की स्थिति पैदा हो सकती है। इन रिपोर्टों में आरोप लगाया गया है कि अमेरिका बिना इस बात की चिंता किए कि इससे कितना नुकसान होगा, अंतरिक्ष में अपना वर्चस्व बनाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि अमेरिका ने यह कहा है कि उसका मकसद चांद पर लंबे समय तक रहने के लिए जरूरी ऊर्जा की आपूर्ति और वहां से मंगल ग्रह के बारे में खोज को सहायता देना है, लेकिन चीन सरकार के सूत्रों की राय है कि इसके पीछे अमेरिका का मकसद सैनिक है।

चांद का इस्तेमाल परमाणु हथियार बनाने में करेगा अमेरिकाः चीन इस बारे में चीन सरकार से जुड़े अखबार ग्लोबल टाइम्स ने चीन के एक सैन्य विशेषज्ञ की राय छापी है। इसके मुताबिक चांद पर हीलियम गैस प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। उसका इस्तेमाल परमाणु विखंडन के लिए किया जा सकता है। उस विशेषज्ञ ने कहा कि अमेरिका ने चांद पर मौजूद परमाणु सामग्रियों का दोहन कर परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाने की बात कही है, लेकिन आखिरकार वह चांद का इस्तेमाल परमाणु हथियार बनाने के स्थल के रूप में कर सकता है।

एसपीडी- 6 खुद राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने जारी किया। इसमें अंतरिक्ष में परमाणु ऊर्जा और संचालन की प्रणालियों का प्रभावी इस्तेमाल करने की योजना बताई गई है। इस दस्तावेज को ठीक उसी समय जारी किया गया, जब चीन का यान चांद की यात्रा पूरी करके और वहां के सैंपल लेकर धरती पर लौटा।

चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि ताजा अमेरिका का मकसद चीन को अंतरिक्ष होड़ में घसीटना है। यह उसी तर्ज पर है जैसे 1980 के दशक में अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रेगन ने तत्कालीन सोवियत संघ को स्टार वॉर प्रोग्राम की होड़ में घसीट लिया था।

उस कार्यक्रम का मकसद दूर तक मार करने वाली परमाणु हथियारों से लैस बैलिस्टिक मिसाइलों के हमले के बचाना था। लेकिन उस होड़ में सोवियत संघ को बड़े पैमाने पर अपने संसाधन लगाने पड़े। इसे कुछ वर्षों के अंदर ही उसके बिखर जाने का एक प्रमुख कारण माना जाता है।