पीएम के संसदीय क्षेत्र में पत्रकारों पर हॉबी हैं तथाकथित झोलाछाप पत्रकार
वाराणसी। पीएम के संसदीय क्षेत्र में इन दिनों झोलाछाप डॉक्टरों की तरह तथाकथित झोलाछाप पत्रकार की बहुतायत हो चली है। जिस जिले के पत्रकारों की लेखनी पढ़ने व सुनने को लोग बेताब रहते थे। आज वे अपने को पत्रकार बताने में भी शर्मिंदगी महसूस करते हैं। कारण लेबर मंडियों।में जिस प्रकार लेबरों की फौज खड़ी रहती है जो किसी भी गाड़ी के रुकने के साथ ही झुंड बनाकर घेर लेते हैं उसी प्रकार इन दिनों पीएम के संसदीय क्षेत्र में तथाकथित झोलाछाप पत्रकारों का हो गया है। ये वो पत्रकार हैं जो प्रातःकाल अपने घरों से निकलकर कचहरी जैसे अति संवेदनशील स्थान पर एकत्र होते हैं। यदि कोई पीड़ित इनसे टकरा गया तो समाचार के नाम पर उसका दोहन कर लेते हैं। इन पत्रकारों का मुख्य उद्देश्य पत्रकारवार्ता की जानकारी एकत्र कर झुंड के रूप में पहुंच कर आगे की पंक्ति में बैठ जाते हैं और इनमें से ही कोई एक यह पता करता है कि आयोजक ने कोई गिफ्ट की व्यवस्था रखी है या नहीं। इन तथाकथित झोलाछाप पत्रकारों ने अपना जाल पूरे पूर्वांचल में फैला रखा है। इसका मुख्य कारण जिला प्रशासन की निष्क्रियता ही है जो इस तरह के पत्रकारों की जांच कराने की जगह इन्हें तवज्जो देते हैं। यहां यह बताना भी आवश्यक है कि अन्य राज्यों में ऐसे पत्रकारों की एलआईयू द्वारा जिला प्रशासन जांच करा कर कार्यवाही भी करता है परन्तु पीएम का संसदीय क्षेत्र होने के बाद भी यहां कोई कार्यवाही नहीं होती है। जबकि पीएम का संसदीय क्षेत्र होने के कारण आये दिन वीवीआइपी लोगों का आना जाना लगा रहता है। ऐसे में यदि किसी दिन कोई बड़ा हादसा हो जाये तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।
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