*कोरोना की जांच कराने गए युवक को दरोगा ने दी गालियां*
*—युवक से की अभद्रता, मारपीट की धमकी देकर केजीएमसी से भगाया*
लखनऊ। कोरोना की जांच के लिए केजीएमसी पहुंचे एक युवक के साथ पुलिस अधिकारी द्वारा गालीगलौज और धमकी देने का मामला प्रकाश में आने के बाद यूपी पुलिस की फिर फजीहत शुरू हो रही है। पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। युवक ने पुलिस के उच्च अधिकारियों को घटना से अवगत कराया है और दोषी पुलिस अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।
राजधानी के प्रतिष्ठित अस्पताल केजीएमसी में शनिवार को कोरोना की जांच कराने के लिए एक युवक अपने परिवार के सदस्यों के साथ पहुंचा। वह अपना पर्चा बनाने के लिए काउंटर पर पहुंचा तो वहाँ बैठे कर्मचारियों ने बताया कि पर्चा दूसरे विभाग में बनाया जाएगा। युवक जब दूसरे काउंटर पर पहुंचा तो वहाँ से भी उसे बैरंग लौटा दिया गया। दूसरे काउंटर के कर्मचारियों बताया कि आपका पर्चा पहले वाले काउंटर पर ही बनेगा, वहीं जाइए। अस्पताल के कर्मचारियों के बीच चक्करघिन्नी बने युवक ने पुनः पहले वाले काउंटर पर पहुंचकर वहां के कर्मचारियों को पूरी बात बताई और अपनी पीड़ा व्यक्त की। काउंटर के पास ही केजीएमसी चौकी के प्रभारी प्रभु दयाल यादव एक कांस्टेबल के साथ खड़े थे। आरोप है कि उन्होंने युवक के साथ गाली गलौज शुरू कर दी। जब युवक ने अकारण गाली गलौज का विरोध किया तो पुलिस अधिकारी धमकी पर उतर आए। आरोप है कि चौकी प्रभारी ने युवक को भाग जाने को कहा। ऐसा नहीं करने पर जूतों से मारने की धमकी दी और गालियां दी। इससे डर कर युवक अपने परिवार के सदस्यों के साथ बिना जांच कराए ही अस्पताल से चला गया। युवक का कहना है कि घटना की सूचना पुलिस के उच्च अधिकारियों को फोन पर दे दी गई है। सवाल यह है कि कोरोना काल में एक ओर जहां पुलिस कोरोना वारियर्स के रूप में कार्य कर रही है, वहीं पुलिस के कुछ अधिकारी खाकी को बदनाम करने में जुटे हैं। ऐसे पुलिस अधिकारी व पुलिसकर्मी सरकार के तमाम दिशा-निर्देशों के बावजूद सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। राजधानी में पुलिस की ऐसी कार्यशैली से पुलिस फिर निशाने पर आ गई है। अब देखना है कि मामले की निष्पक्ष जांच कर पुलिस अपनी गलती स्वीकार करती है अथवा नहीं।
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