November 3, 2024

प्रयागराज के महिमामंडन की दो सच्ची कहानियां-

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*प्रयागराज के महिमामंडन की दो सच्ची कहानियां*

 

कुछ साल पहले की बात है ,उस समय देश के महान वैज्ञानिक, महान विभूति, महान व्यक्ति अब्दुल कलाम साहब देश के राष्ट्रपति थे, उनको प्रयागराज आना था। तत्कालीन इलाहाबाद के डीएम को प्रस्तावित कार्यक्रम भेजा गया। इस कार्यक्रम में अन्य स्थानों के साथ उनका भरद्वाज आश्रम भी जाना था उस समय उस समय

भरद्वाज आश्रमम की स्थिति और खराब थी । जिला प्रशासन का हाथ पैर फूल गया। राष्ट्रपति अगर वहां जाएंगे तो उसकी स्थिति सुधारने पड़ेगी अभी ऐसी स्थिति नहीं है कि उसको जल्दी से सुधारा जा सके। जिलाधिकारी की आपत्ति लग गई और राष्ट्रपति कलाम का वहां जाना रद्द हो गया।

राष्ट्रपति कलाम साहब समय पर इलाहाबाद आए। आप सब यह जानते हैं, लेकिन अब वह बात बताता हूं जो आप नहीं जानते सरल राष्ट्रपति से एक व्यक्ति ने अपनी जिज्ञासा बस पूछा ही लिया कि आप धर्म से मुसलमान हैं लेकिन हिंदू संत महर्षि भरद्वाज के यहां क्यों जानना चाहते थे ?

राष्ट्रपति ‌कलाम समझ गये कि लोग क्या सुनना चाहते है।अपने अंदाज में कलाम साहब ने जो बोला सुनने के बाद लोगों का सर नीचा हो गया,,,, उन्होंने कहा कि मैं मिसाइल पर काम करता हूं और मैं जानता हूं कि महर्षि भरद्वाज मेरे लिए क्या है !!!

मिसाइल बनाने के वह पहले व्यक्ति थे ! वह विमान की जनक थे! मैं वहां जाना चाहता था।श्रद्धा सुमन अर्पित करना चाहता था।

राष्ट्रपति कलाम की श्रद्धा को देखते हुए महर्षि भरद्वाज को धर्म से जोड़ने वाले शर्मिंदा हो गए।

महर्षि भरद्वाज पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने उस संरचना का जिक्र किया जो हवा में उड़ सकता है। किस तरह उड़ेगा ,उसकी डिज़ाइन कैसी होगी, उसमें ईंधन कैसा होगा ,आदि आदि। इसकी कल्पना हम लगभग साढे 7000 साल पहले कर चुके थे, उसे आज विश्व कर रहा है।

महर्षि के ज्ञान गौरव की बात दक्षिण में बैठे अब्दुल कलाम साहब जानते हैं। लेकिन प्रयाग का कुछ व्यक्ति जानता है !!!

,,,और मानता है अन्य तो सिर्फ दाढ़ी वाला एक बुड्ढा समझते हैं ।

 

दूसरी कहानी

प्रोफ़ेसर के बी पांडे पूर्व कुलपति पूर्व अध्यक्ष लोक सेवा आयोग द्वारा।

उन्होंने बताया कि मेरे एक परिचित को नासा में नौकरी मिली।

अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान में नौकरी पाकर गौरवान्वित थे।

संबंधित व्यक्ति ने नौकरी

ज्वाइन की ,तो उनके सीनियर ने उनसे अंतरिक्ष विज्ञान के पितामह के बारे में पूछा और एक किताब की मांग की।

यह व्यक्ति भारतीय थे,और इनका नाम है महर्षि भारद्वाज !!!

अमेरिकी द्वारा एक भारतीय नाम पूछने पर कि इनके बारे में आप मुझे बताइए और इन्होंने किताब लिखी है उसे मुझे उपलब्ध कराइए।

अमेरिकी द्वारा भारतीय व्यक्ति का नाम बताना और उनकी पुस्तक का मांगना, उस भारतीय व्यक्ति के लिए आश्चर्यजनक गौरव था ।

उन्होंने अपने भाई को यह सूचना दी कि कृपयाआप महर्षि भरद्वाज की लिखी यंत्र सर्वस्व पुस्तक हमें उपलब्ध कराइए।

अब उस पुस्तक की खोज शुरू हुई। काफी खोजबीन के बाद पता लगा कि पुस्तक हैदराबाद में एक महाराजा के यहां रखी हुई है। किसी तरह उसकी प्रति निकलवाई गई औरअमेरिका भेजी गई।

मित्रों यह दो कहानी है। हम प्रयागराज के वासी महर्षि भरद्वाज के महान कामों के बारे में नहीं जानते। यह ऐसे काम है, जिनपर आज विश्व में सर्वश्रेष्ठ लोग रिसर्च कर रहे हैं।

लेकिन यह विडंबना है कि हम महर्षि भरद्वाज और प्रयागराज को महिमा मंडित नहीं कर पाए।

मैं अपने को धन्य मानता हूं कि इनके लिए अभियान चला कर विशाल मूर्ति की स्थापना कर पाया,,,और अब इनकेऔर प्रयागराज के महिमामंडन , लोगों तक इनके काम पहुंच सके, जान सके प्रयासरत हूं।इस कार्य में भारत भाग्य विधाता की पूरी टीम लगी है।

अब ऐसे महापुरुष की जन्म जयंती धूमधाम से मनाई जानी चाहिए कि नहीं ?

विश्व के महान गुरुओं मैं से एक भरद्वाज जी की जन्म जयंती 12 जनवरी को आयोजित है।

आप भी आइए और एक पुष्प चढ़ाएं । निश्चित तौर पर आप इन सच्ची कहानी को सुनकर प्रयागराज वासी होने पर गर्व कर रहे होंगे ,आइए हमारे साथ मिलकर प्रयागराज की महिमा के लिए कुछ सकारात्मक कार्य करें।

स्वार्थीओं के साथ सेल्फी खिंचवाने से अच्छा हैएकसेल्फी महर्षि भरद्वाज के साथ लें और पोस्ट करें,निश्चित ही इनका *आशीर्वादआपको लगेगा-*

*वीरेंद्र पाठक*

सौजाने से

*दि दैनिक दिशेर टाइम्स*

*प्रयाग राज़*