*दिखावे के लिए ही सही समाज के संपन्न लोगों को गरीबों की मदद के लिए आना चाहिए आगे..!*
*बढ़ती ठंडक के आगे सरकारी सहायता ऊंट के मुंह में..!!*
*सर्दी का मौसम बुजुर्गों और गरीबों के लिए कष्टदायक..!!*
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पृथ्वी पर मनुष्य सबसे उत्तम और सर्वश्रेष्ठ हैं और हमारा यह दायित्व है कि हम मानवता निभाए और कहते हैं कि मानवता रखने वाले मनुष्य ही परोपकार करते है!निस्वार्थ भाव से सेवा भावना रखना मानवता की उच्च कोटि है तथा मानवता निभाने की जिम्मेदारी इंसान की ही है!समय के अनुसार मौसम में परिवर्तन प्रकृति का नियम है निश्चित अवधि के बाद मौसम का बदलना स्वागतयोग्य होता है देश में सर्दी का मौसम अपने पूरे रंग में नजर आ रहा हैं चारों ओर शीतलहर का प्रकोप है चारों ओर कोहरे का साम्राज्य स्थापित हो चुका लगता है सर्दी का मौसम बुजुर्गों और गरीबों के लिए विशेष कष्टदायक होता है बढ़ती ठंड की वजह से स्कूल और कालेज बंद कर दिए गए हैं सड़कों और बाजारों में सन्नाटा सा पसर लगता है दिहाड़ी मजदूरों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही हैं!सरकार की ओर से कुछ स्थानों पर अलाव की व्यवस्था और कंबल वितरण किया गया है लेकिन बढ़ती ठंडक के आगे सरकारी सहायता ऊंट के मुंह में जीरा के समान साबित हो रही है! समाज के संपन्न लोगों को चाहे दिखावे लिये ही सही गरीबों की मदद के लिए आगे आना चाहिए!मानवता की महानता मानव होने मे नही बल्कि मानवीय होने में है।
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