November 17, 2025

उलझे धागों की कहानी है शकुंतला देवी, ह्यूमन कंप्यूटर’

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‘ह्यूमन कंप्यूटर’ से रिश्तों के उलझे धागों की कहानी है शकुंतला देवी

मुंबई. ये फिल्म ‘ह्यूमन कंप्‍यूटर’ के नाम से प्रसिद्ध शकुंतला देवी (Shakuntala Devi) के जीवन पर बनी है, जो छोटी सी उम्र से बिना किसी मशीनी सहायता के जटिल गणि‍तीय पहेलियों को चुटकियों में जुबानी सॉल्‍व कर देती थीं, जटिल गणित समस्याओं को रिकॉर्ड समय में हल करने के अद्भुत कौशलसे उन्होंने लोगों के बीच ख्याति पाई और दुनिया भर में अपना नाम कमा लिया. अमेजन प्राइम वीडियो (Amazon Prime Video) पर विद्या बालन (Vidya Balan) की फिल्म ‘शकुंतला देवी’ रिलीज हो चुकी है. फिल्म एक बायोग्राफिकल ड्रामा (Biographical Drama) है. इसमें शंकुतला देवी के जीवन से जुड़े कई अनछुए पहलुओं को दर्शकों के सामने रखने की कोशिश की है.

क्या कहती है फिल्म?

फिल्म ‘शकुंतला देवी (Shakuntala Devi)’ ‘दुनिया भर को जीतना भी है और एक जगह टिक कर रहना भी है’ ये सुनने में जितना आसान लगता हैं, व्यावहारिक जीवन में इसको अमल में लाना उतना ही कठिन है. विद्या बालन की फिल्म ‘शकुंतला देवी’ भी यही कहने की कोशिश करती है. फिल्म में भी विद्या का किरदार बचपन से लेकर बुढापे तक इस द्वंद्व को ढोकर चलता है.

फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी बेंगलुरु के एक छोटे से गांव से शुरू होती है, जहां शंकुतला देवी का जन्म होता है. 5 साल की छोटी सी उम्र से लोगों को शकुंतला के इस खास टैलेंट के बारे में पता लगना शुरू हो जाता है. शकुंतला देवी का परिवार क्योंकि बहुत गरीब है, इसलिए उनके पिता उनके इस टैलेंट को ही रोजगार का जरिया बना लेते हैं. धीरे-धीरे शकुंतला को जैसे-जैसे पहचान मिलनी शुरू होती है, उसके जीवन में ऐसा दुख आता हैं, जिसको को कभी भूला नहीं पाती. उसकी दिव्‍यांग बहन शारदा पैसों और इलाज के अभाव में दम तोड़ देती है

दुनिया के बनाए तौर तरीकों को लेकर वो कई सवाल करती हैं. उन सवालों के चलते शकुंतला अपनी मां से उम्र के आखिरी पड़ाव तक नाराज रहती हैं. अपने अप्‍पा यानी पिता के जिंदगी जीने के तौर तरीके उसे खलते रहते हैं. बड़ी होती शकुंतला देवी के जिंदगी एक लड़के की एंट्री होती हैं, जिससे उन्हें प्यार होता है, लेकिन प्यार में उन्हें धोखा मिलता है. यही बात शकुंतला देवी की जिंदगी को बदलकर रख देती है. इसी के बाद शकुंतला देवी लंदन पहुंचती हैं, जहां से फिर वो नई उड़ान भरती हैं.

शकुंतला देवी जो कि लंदन पहुंचने के बाद दुनियाभर में नाम कमाती हैं और कंप्यूटर तक की कैल्कुलेशन में गलती निकाल देती हैं कि जिंदगी में एंट्री होती परितोष की, जो कि एक आईएएस अफसर है. शकुंतला को उनसे प्यार होता है और फिर उनकी जिंदगी में आती है उनकी बेटी अनु (सान्या मल्होत्रा). शकुंतला और परितोष अलग हो जाते हैं और अनु मां के साथ ही रहने लगती है.

मैथ के लिए शकुंतला देवी का प्यार और अपनी बेटी को हमेशा अपने पास रखने की जिद, अनु की नजरों में उन्हें एक बुरी मां बना देता है और वो भी धीरे-धीरे शकुंतला देवी से नफरत करने लग जाती है. पढ़ाई लिखा के बाद अनु की शादी और फिर उतार चढ़ाव फिल्म दर्शकों को अंत तक बांधे रखेगी.

विद्या बालन ने शानदार वापसी
विद्या बालन ने किरदार में जान भर दी है. उन्होंने युवा शकुंतला से लेकर बुजुर्ग शकुंतला के सफर को उन्‍होंने रोचक, रोमांचक, विचारशील बनाया है. विद्या बालन ने ऑनस्क्रीन जबरदस्त वापसी की है. फिल्‍म की कहानी लॉन लीनियर तरीके से अतीत, वर्तमान में आती जाती रहती हैं. सारे घटनाक्रम सही मौके पर आते रहते हैं. स्‍क्रीनप्‍ले सटीक तरीके से लिखा गया है.

अनु मेनन का बेस्ट डायरेक्शन
फिल्म का निर्देशन अनु मेनन ने किया है. वहीं, स्टारकास्ट की बात करें तो इसमें विद्या बालन के साथ सान्या मल्होत्रा, अमित साध और जीशू सेनगुप्ता मुख्य भूमिकाओं हैं. 2 घंटे और 10 मिनट की फिल्म में किसी बड़ी शख्सियत को उतार पाना कठिन हैं लेकिन अनु मेनन ने ये बखूबी किया किया है. फिल्म में चार गाने हैं, 3 गानों को सुनिधि चौहान और एक अन्य को मोनाली ठाकुर और बैनी दयाल ने अपनी आवाज दी हैं. हम फिल्म को 3.5 स्टार देंगे.