*सुप्रीमकोर्ट/चुनाव में राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त की योजनाओं की घोषणा पर राजनीतिक पार्टियों की मान्यता को रद्द करने की मांग का मामला*
CJI ने कहा यह निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
CJI ने कहा कि इस मामले में सभी राजनीतिक दल एक तरफ हैं।हर कोई चाहता है कि फ्रीबीज़ जारी रहे
CJI ने कहा कि सवाल यह है अदालत के पास शक्ति है आदेश जारी करने कि लेकिन कल को किसी योजना के कल्याणकारी होने पर अदालत में कोई आता है कि यह सही है।
CJI ने कहा कि ऐसे में यह बहस खड़ी होगी कि आखिर न्यायपालिका को क्यों हस्तक्षेप करना चाहिए?
सरकारें इस पर चर्चा करें और जहां तक सवाल विशेषग्य समिति के गठन का आप लोग इसपर अपनी राय दे।
CJI ने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से राय मांगी।
CJI ने कहा कि फ्रीबिज पर रोक के लिए हम चुनाव आयोग को कोई अतिरिक्त अधिकार नहीं देने जा रहे हैं लेकिन इस मामले में चर्चा की जरूरत है।
CJI ने कहा कि मान लीजिए केंद्र एक ऐसा कानून बनाता है जो राज्य मुफ्त नहीं दे सकते, क्या तब हम यह भी कह सकते हैं कि इस तरह का कानून न्यायिक जांच के लिए खुला नहीं है।
CJI ने कहा कि हम देश के कल्याण के लिए इस मुद्दे को सुन रहे हैं, न कि हम कुछ कर रहे हैं।
केंद्र कि ओर से SG तुषार मेहता ने कहा कि जब सरकार के पास पैसा ना हो और वह चुनाव जीतने के लिए खर्च करे।क्या यह सही है?
इसकी वजह से अर्थव्यवस्था लचर हो जाती है। यह गंभीर मुद्दा है।
CJI ने कहा कि यह सिर्फ चुनाव के दौरान का मुद्दा नहीं है।
याचीका कर्ता की ओर से विकास सिंह ने कहा कि अगर मुफ्त की घोषणाए होती रहेंगी तो श्रीलंका जैसे हालात हो जाएंगे।
सिंह ने कहा कि मुफ्त की योजनाओं के लिए पैसे कहां से आएंगे?
यह मतदाता को जानने का अधिकार है। टैक्स देने वालो को पता होना चाहिए कि यह पैसा मेरी जेब से ही जा रहा है। चुनाव घोषणापत्र में यह बताना होगा कि पैसा कहां से आएगा।
CJI ने कहा कि EC कैसे कह सकता है कि यह घोषणा करे या यह घोषणा करे।
याचिका कर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा यह एक गंभीर मुद्दा है जिसके विनाशकारी आर्थिक परिणाम हो सकते हैं। यह एक कानूनी समस्या है।
उन्होंने कहा कि हर कोई सत्ता चाहता है इसलिए वो मुफ्त की घोषणा करते हैं।इससे देश की अर्थव्यवस्था दिवालिया हो जाएगी।
विकास सिंह ने बालाजी जजमेंट का हवाला देते हुए कहा की राजनीतिक दल कह रहे हैं की यह मुफ्त की घोषणाएं समाज कल्याण के लिए होती हैं, लेकिन जिस तरह से मुफ्त के नाम पर रेवड़ियां बांटी जा रही हैं। वह लोक कल्याण की नहीं हैं।
वही एक याचिकाकर्ता विजय सरदाना के वकील विजय हंसारिया ने सुझाव दिया कि वित्त आयोग के विशेषज्ञों की एक समिति, नीति आयोग को इस मुद्दे पर गौर करना चाहिए।
CJI ने कहा कि यह बहुत ही जटिल मुद्दा है। मुफ्त की घोषणाए और कल्याणकारी योजनाओं के बीच अंतर रखना जरूरी है।
CJI ने कहा कि बौद्धिकता सिर्फ एक व्यक्ति या एक पार्टी से जुड़ी नहीं है। हम बहुत कुछ कह सकते है।
CJI ने DMK के लिए वकील को कहा कि जिस पार्टी का आप प्रतिनिधित्व कर रहे है। उसके लिए मेरे पास कहने के लिए बहुत कुछ है। यह मत सोचिए कि आप ही एकमात्र बुद्धिमान हैं।
आप यह न सोचें कि जो कुछ कहा जा रहा है। उसे हम सिर्फ इसलिए नज़रअंदाज कर रहे हैं क्योंकि हम कुछ नहीं कह रहे हैं।
हम व्यापक स्तर पर सभी के सुझाव पर गौर करेंगे।
DMK की तरफ से पी विल्सन को टोकते हुआ कहा।
CJI ने कहा यह बड़ी जटिल समस्या, आपने उसे चुनाव वादों तक ही सीमित रखा लेकिन अन्य मुद्दे भी महत्वपूर्ण है, कल्याणकारी योजनाओं के नाम पर कुछ अन्य लाभ दिया जाता है
CJI ने कहा कि कुछ लोग कल्याणकारी और अर्थव्यवस्था के प्रति चिंतित हैं। हमारा मानना है कि संसद को इस पर गौर करे,फैसला करे, यही कारण है कि मैंने शुरू में कमेटी बनाने की बात कही थी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब सवाल यह है कि आयोग का प्रमुख कौन होगा ?
कल फिर इस मामले पर सुनवाई होगी।
आम आदमी पार्टी की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा की कमिटी की कोई जरूरत नहीं है यह मुद्दा संसद को देखना चाहिए ।
*कल भी मामले की होगी सुनवाई होगी*
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