February 7, 2025

वो लोग कौन हैं जो सड़कों पर रात गुजारते और हादसों का शिकार होते?

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*वो लोग कौन हैं जो सड़कों पर रात गुजारते और हादसों का शिकार होते.. ?*

 

*सरकारें सबको घर मुहैया कराने का दावा करती, और करती प्रचार प्रसार में बेशुमार दौलत खर्च..!!*

 

*दुर्घटनाओं को गंभीरता से लिया जाए और प्रयास हों कि ऐसे दर्दनाक हादसों की पुनरावृत्ति न हो..!!*

 

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देश के अलग अलग राज्यों में सैकड़ों लोग एक अदद घर के अभाव में खुले आसमान के नीचे फुटपाथ पर अपना जीवन गुजारने को मजबूर हैं!बरसात गर्मी और सर्दी आते ही लोग अपने लिए तरह तरह की व्यवस्था में लग जाते हैं लेकिन व लोग क्या करें जिनके पास सर छुपाने के लिए एक अदद छत तक नहीं है! उनके नसीब में तो हर भयावहरात फुटपाथ पर ही गुजारनी लिखी होती है!हमारे देश में कभी ड्राइवरों की लापरवाही से तो कभी सड़कों पर एकाएक जानवरों के आ जाने से और कभी सड़कें खस्ताहाल होने की वजह से ऐसे हादसे होते रहते हैं जिनमें हर वर्ष हजारों लोग मारे जाते हैं और हजारों लोग घायल हो जाते हैं! हाल ही में दिल्ली के सीमापुरी इलाके में रात को फुटपाथ पर सो रहे लोगों को एक तेज रफ्तार ट्रक ने कुचल दिया जिसमें चार लोग मारे गए और कुछ घायल हुए!अब सोचने वाली बात यह है तो ऐसी कौन सी मजबूरी है जो लोगों को फुटपाथ पर सोने को मजबूर करती है?यों तो हमारी सरकारें सबको घर मुहैया कराने का दावा करती हैं! फिर ये लोग कौन हैं जो सड़कों पर रात गुजारते हैं वह भी देश की राजधानी में!कुछ राज्यों की सरकारें और केंद्र सरकार एक वर्ष में करोड़ों रुपए खर्च करती हैं अपने प्रचार में छोटी छोटी उपलब्धियों पर भी सड़कों पर और अखबारों में मुख्यमंत्रीयों और देश के प्रधानमंत्री की तस्वीरें आसानी से देखी जा सकती हैं!अगर यही पैसा लोगों की मूल जरूरतों को पूरा करने पर खर्च किया जाए तो शायद किसी को भी सड़कों पर सोने को विवश नहीं होना पड़ेगा!यह हमारे लोकतंत्र की नाकामी है कि आजादी के पचहत्तर वर्ष बीत जाने के बाद भी हमारी सरकारें सभी लोगों को रोटी कपड़ा और मकान जैसी जरूरी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं करवा सकी हैं! प्रशासन के साथ साथ देश की जनता भी ऐसे हादसों के लिए बराबर की दोषी है! फुटपाथ पर सो जाना रेल की पटरियों पर सो जाना लापरवाही से या शराब पीकर गाड़ी चलाना देश में यह सब आम बात है!सरकारें जाम खत्म करने के लिए या हादसे कम हों इसके लिए उपरिगामी पथ का निर्माण करवाती हैं लेकिन हम उन पर गाड़ियां रोककर सेल्फियां लेते हैं शराब पीते हैं! ऐसा भी नहीं है कि इन हादसों का शिकार आम आदमी ही होता है हमारे देश ने कई नेताओं को भी सड़क हादसों में खोया है अब जरूरत इस बात की है कि इन दुर्घटनाओं को गंभीरता से लिया जाए और प्रयास हों कि ऐसे दर्दनाक हादसों की पुनरावृत्ति न हो।

 

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