लखनऊ संचालक और सचिव की गैरमौजूदगी में लखनऊ के कॉफी हाउस पर कब्जा कभी नवाबों की नगरी लखनऊ का ‘वैचारिक पॉवर हाउस’ रहा इंडियन कॉफी हाउस के लिए 18 फरवरी २०२०, मंगलवार का दिन बहुत अमंगलकारी रहा। राज्य की जनता को अभय का वरदान देने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार की नाक के नीचे, मशहूर शाम-ए-अवध कॉफी हाउस के लिए शाम-ए-गम में तब्दील हो गयी।
वैचारिक प्रतिबद्धता के प्रदर्शन केलिए जहां कभी जोरदार बहसें हुआ करती थीं, जहां के दरवाजे हर किसी के लिए खुले रहते थे, जहां लोकतन्त्र अपने सबसे सुन्दर रूप में हर किसी का हाथ फैलाकर स्वागत करता था, उसी पवित्र जगह पर ‘गुप्ता’ नाम के किसी व्यक्ति ने कब्जा कर लिया है। शीशे के दरवाजे के भीतर भारी-भरकम शरीर से डर का अहसास कराते कई युवा लोगों को अन्दर आने से रोक रहे थे। सबको बताया जा रहा था कि कॉफी हाउस में मरम्मत चल रही है। अभी कुछ दिन और ‘कहीं और’ कॉफी पी आइए। अधखुले दरवाजे से जितना दिख सकता था, उससे एक महिला समेत भीतर बैठे १०-१२ लोगों की बेचैनी साफ नजर आ रही थी, लेकिन दरवाजे पर खड़ा बॉक्सर जैसा व्यक्ति इतना मौका देने के पक्ष में नहीं था कि जिन सीटों पर आप कल तक बैठकर घण्टों दोस्तों के साथ किसी विषय पर बहस कर सकते थे, उन्हें देख सकें।
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