रेनुकूट डीएफओ की सूझ बूझ और रेंजर म्योरपुर की संतुलित प्रशासनिक दक्षता की देनी होगी दाद! एस एम श्रीवास्तव की रिपोर्ट!
सोनभद्र/रेनुकूट डिवीजन की दशको पुरानी साख को धूमिल करने वाले काचन काण्ड के बाद चर्चित रेंज म्योरपुर जिसे ठेठ मे नेउरगंज भी कहते हैं चर्चा मे आ गया था! प्रदेश भर मे छीछालेदर कराने के उपरांत माननीय न्यायालय द्वारा जिन जिम्मेदार लोगो को दोषमुक्त मानने हुये सेवा मे पुनर्स्थापन किया था उनकी तैनाती स्थल की वैधानिक स्थिति क्या है इसे ले कर नीचे से ऊपर तक के अलग अलग खेमो में भ्रम की स्थिति अभी भी बरकार है!
जब कि यदि नियमत: देखा जाये तो निलंबित कर्मचारी सेवा में बहाली के बाद तब तक वही तैनात माना जायेगा जहां उसे सम्बद्ध किया गया रहा हो! बहाली का आदेश भी वहीं से मिलना चाहिये! क्यों कि सम्बद्ध अवधि के दौरान सम्बन्धित से संवाद या पत्राचार वही से होता रहा है!
उच्च स्तर से हुयी लिपिकीय भूल से सम्बन्धित की बहाली का आदेश चीफ मीरजापुर को न भेज कर डीएफओ रेनुकूट के माध्यम से प्राप्त कराया गया जो नियमत: गलत है!
और उसी प्राप्ति को आधार मान कर पूर्व रेंज अधिकारी अपनी तैनाती पूर्व की भांति म्योरपुर रेंजर के रूप मे समझ पिछले डेढ माह से यहां प्रशासनिक ऊहापोह की स्थिति बनाये रहे!
गौरतलब है कि बगैर तैनाती स्थल के उल्लेख के “सेवा में पुनर्स्थापित किया जाता है” पंक्ति को आखिर किस आधार पर तैनाती म्योरपुर मानी जाती रही!
आखिर किन कारणों से तैनाती म्योरपुर की जाती है यह नही लिखा गया! जब कि माननीय न्यायालय के आदेश के बाद उन्हे तैनाती का स्पष्ट आदेश मिलना चाहिये था!
दाद देनी होगी श्री एम सिंह साहब की जिन्होने विषम परिस्थितियो मे भी म्योरपुर के जंगलो मे वन अपराध पर नियंत्रण वानिकी कार्यो के संपादन आदि को रेंजर सोनकर के कुशल प्रशासनिक नियंत्रण में जरा भी प्रभावित नही होने दिया! काचन काण्ड के बाद धूमिल हुयी रेंज व डिवीजन की छवि को फिर से पहले की तरह चमका दिया इन दो वन अधिकारियो ने!
जंगल के इन दो शेरों को पर्यावरण प्रेमियों का दिल से सलाम!
जय हिंद!
एस एम श्रीवास्तव की कलम से!
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