February 12, 2025

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच हमको बताता है कि हर मजहब इंसान को इंसानियत तक पहुंचाता है – गिरीश जुयाल

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मुस्लिम राष्ट्रीय मंच कार्यकर्ताओं मेरे भगिनी – श्री गिरीश जुयाल जी

 

द्वितीय सत्र आदरणीय गिरीश जुयाल जी उद्बोधन से प्रारंभ हुआ। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच कार्यकर्ताओं मेरे भगिनी और बंधुओं आज का जो हमारा विषय है वो है जड़ों से जुडो और जब सृष्टि की रचना हुई तो तब ब्रह्मा जी की उत्पत्ति ईश्वर के नाभि से निकले वाले एक कमल के फूल पर हुई। उन्होंने सोचा कि मैं कौन हूं कहां से आया हूं। जो पहला कार्य उन्होंने किया वो था अपनी जड़ों को खोजने का काम।और ईश्वर से उन्हें अनुग्रह रूप में चारों वेदों प्राप्त हुए इसलिए के उन्होंने जिस कमल के फूल पर प्रकट हुए उसके तने तक जाने की कोशिश की। अनेक बार कोशिश करने के बाद में अपने मूल यानि जड़ों को ईश्वर के अनुग्रह से जान सके। परमात्मा ने हमें अनेक उपकरण दिए हैं जिनमें प्रथम हैं हमारे चारों वेद जो मानवता का प्रथम ग्रंथ है आखरी आसमानी किताब कुरान है कुरान हमें ईश्वर की मर्जी से ईश्वर को प्राप्त करने का निर्देशन ग्रंथ है। मुस्लिम वह है जो अपनी मर्जी से नहीं जीता अल्लाह की मर्जी से अल्लाह को हासिल करने के लिए जीता है ब्रह्मा जी के बाद भी जो सृष्टि मैं अनेक अवतार पैगंबर औलियों के रूप में आए उन्होंने अपने-अपने समय पर फरिश्तों द्वारा प्राप्त इंसानियत के ज्ञान को हासिल किया उनमें से कुछ पर किताब भी उतरी वे सब भी ईश्वर वाणी के रूप में आसमानी किताब कहलाते रही। उनके बताए गए निर्देशों के आधार पर आवाम ने अपना जीवन अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जीया। चारों वेद जिन्हें अरब में तोराब कहते हैं, इसके अतिरिक्त यहूदियों में ओल्ड बाइबिल उत्तरी। ईश्वर ने ब्रह्मा जी को पहली आसमानी किताब चारों वेद के रूप में दिए, इन किताबों की मदद से ब्रह्मा जी ने ध्यान लगाकर खुद को खोजा और अपनी जड़ो से जुडने के बाद इस संसार की रचना की। अगर हम अपनी जडों को महसूस करेंगे तो हम पायेंगे कि हम देशज मुसलमान हैं। जिन्हें वर्तमान में उनकी आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक आधार पर पसमींदा मुसलमान कहा जाता है। हम सब के पूर्वज भारतीय थे भारतीय संस्कृति सभ्यता और जीवन मूल्यों को आगे बढ़ाने में उन्होंने अपना अमूल्य योगदान दिया था जब हम अपनी जड़ों से जोड़ते हैं तो हरे भरे होते हैं छाया देने वाले बनते हैं प्राणवायु देने वाले बनते हैं हम पर फूल लगते हैं और वह फलों में परिवर्तित होते हैं हमारा जीवन हमें तृप्त करता वह अपने उद्देश्य को प्राप्त करता है इसलिए हमें अपने पूर्वजों की तरह अपनी जड़ों को खोज कर से जुड़ना है तमिलनाडू के पास के जगह है जिसे आज हम सब श्रीलंका के नाम से जानते हैं। कहा जाता है कि यहीं पर हजरत आदम को जन्नत से जमीन पर उतारा गया था। इसका मतलब है कि हिन्दुस्तान इंसानियत का बिस्मिल्लाह भी है और मरकज़ भी है। हर हिन्दुस्तानी का अखलाक और किरदार हजरत आदम को खुदा के द्वारा दिए गए सीधी हिदायतों पर आधारित है। इन हिदायतों में खुदा और इंसान क बीच कोई फरिश्ता नहीं था। खुदा ने ये हिदायतें सीधे हजरत आदम को दी थी हजरत आदम के अखलाक और किरदार को उनकी जिंदगी की सब चीजों को हर भारतीय ने तब से लेकर अब तक अपने आचरण और व्यवहार में बनाये रखा है। सनातन के माने इसांनियत का श्री गणेश और इस्लाम के माने इंसानियत का मुक्कमल होना। इस आधार पर कहा जा सकता है कि अरब सहित सारी दुनिया हिन्दुस्तानियों की जमीन पर आई इंसानियत के आधार पर चल रही है। इसलिए कहा जाता है कि जब हम हिन्दुस्तानियत से जुडते हैं तो अपनी जड़ों से जुडते हैं। दूसरे शब्दों में हम असल इंसानियत के साथ जुडते हैं।हर हिन्दुस्तानी का अखलाक आज भी ईश्वर के द्वारा दी गई सीधी हिदायत ओं पर आधारित है सबकी उत्पत्ति सबसे पहले हिन्दुस्तान में ही हुई थी। यह बात हमें जाननी होगी कि जब हम हिन्दुस्तान को बढ़ाते हैं इंसानियत को बढाते हैं। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच हम सबको इंसानियत के हिसाब से चला रहा है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच हमको बताता है कि हर मजहब इंसान को इंसानियत तक पहुंचाता है और फिर इंसानियत उसको दुनिया मैं एवं दुनिया के के बाद काबिल बनाती है। और आपने देखा होगा जो कार्यकर्ता हमारे साथ काम कर रहे हैं वो साधारण आदमी हैं। इसके बाद भी हमारा काम तेज गति से आगे बढ रहा है। हम अपनी जड़ो को खोज रहे हैं। तो यह सोचने की बात है कि हिन्दुस्तान में इंसानियत की शुरूआत हुई है। हिन्दुस्तान पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में मानता है। इसलिए जब हम इंसानियत से जुडते हैं तो हमें एक सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। जब हम राम को याद करते हैं तो हमें आराम मिलता है। जब हम नंद को याद करते हैं तो आनंद मिलता है हमें भारतीय संस्कृति के जीवन मूल्य में सत्यम शिवम् सुंदरम् को पूरे विश्व में स्थापित करना है। आराम या आनंद केवल भारतीयों की संपत्ति नहीं है उसे पूरे विश्व के साथ बांटना है भारतीय संस्कृति सभ्यता और जीवन मूल्यों के साथ अपने बुजुर्गों से जुड़ा हुआ मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का कार्यकर्ता खुद के लिए नहीं जीता बल्कि सबके लिए जीता है। भारत के लोग जब भी बाहर गए हैं शांति दूत के रूप में ही गये हैं। श्री गिरीश जुयाल जी