May 15, 2025

मुंबई के बड़े बिल्डरों में से एक ओमकार ग्रुप के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर को परवर्तन निदेशालय ने 22, 000 करोड़ रुपए के स्लम रिहैबिलिटेशन (SRA) धोखाधड़ी मामले में गिरफ़्तार किया- अजय मिश्रा

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मुंबई

 

 

मुंबई के बड़े बिल्डरों में से एक ओमकार ग्रुप के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर को परवर्तन निदेशालय ने 22, 000 करोड़ रुपए के स्लम रिहैबिलिटेशन (SRA) धोखाधड़ी मामले में गिरफ़्तार किया। आपको बता दें ओमकार ग्रुप के चेयरमैन कमल गुप्ता और मैनेजिंग डायरेक्टर बाबू लाल वर्मा पर यस बैंक से स्लम रिहैबिलिटेशन प्रोजेक्ट के लिए 450 करोड़ रुपये के निवेश सहित कई बैंकों से हजारों करोड़ रुपये का कर्ज लेने का आरोप है।

 

कंपनी ने किया अनियमितताओं के आंकड़े का खंडन —

 

कंपनी ने 22,000 करोड़ रुपये की अनियमितताओं के आंकड़े का खंडन किया और कहा है कि यह औरंगाबाद इकोनॉमिक ऑफिस विंग में दर्ज FIR से सम्बंधित 410 करोड़ रुपए के फंडिंग मामले से सम्बंधित है, सोमवार को ED ने ओमकार ग्रुप से सम्बंधित 10 परिसरों में छापेमारी की थी और यह छापेमारी बुधवार की सुबह तक चली थी।

 

 

 

 

 

कार्यालयों और आवासों की तलाशी में मिले इंक्रिमिनेटिंग दस्तावेज —–

 

सूत्रों के हवाले से पता चला है की जब कार्यालयों और आवासों पर तलाशी की गई तो ED के अधिकारियों को काफी बड़ी संख्या में इंक्रिमिनेटिंग दस्तावेज मिले। 27 जनवरी को बाबूलाल वर्मा और कमल गुप्ता को ED के दफ्तार लाया गया और काफी लम्बे समय तक उनसे पूछताछ की गई। इसके अलावा यह बात भी सामने आई की दोनों ही जाँच में सहयोग नहीं कर रहे जिसके कारण दोनों को ही गिरफ्तार कर लिया गया।

 

 

2019 में दायर की गई थी याचिका, फर्जीवाड़ा का लाहा था आरोप ——

 

 

साल 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट में ओमकार ग्रुप और गोल्डन एज ग्रुप ऑफ कंपनी के खिलाफ याचिका दायर की गई थी जिसमे आरोप लगाए गए थे कि इन दोनों ही फार्मों ने दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा किया है, इसके साथ ही झुग्गी झोपडी वालों के नाम पर झूठे दस्तावेज तैयार किए गए। इसी के बाद से ओमकार ग्रुप की मुंबई पुलिस की ईओडब्ल्यू में जांच चल रही है। इसके अलावा आपको बता दें अधिकारियों ने को परियोजना के विकास के लिए स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी (SRA) के अधिकारियों ने लेटर ऑफ इंटेंट (LoI) प्राप्त करने में मदद की यह आरोप भी लगाया गया था। इसके साथ ही यह भी आरोप लगाया है की इसी लेटर ऑफ इंटेंट का उपयोग कर कई बैंकों से लगभग 22, 000 करोड़ रुपए का कर्जा लेने के लिए किया गया।