February 11, 2025

पत्रकारों को सरकारी रेवड़ियां बांटी गईं और प्रदेश के सबसे बड़े पत्रकार संगठन “आई एफ डब्ल्यू जे “को रखा गया दूर-

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*‼️पत्रकारों को सरकारी रेवड़ियां बांटी गईं और प्रदेश के सबसे बड़े पत्रकार संगठन “आई एफ डब्ल्यू जे “को रखा गया दूर‼️*😨

 

_*शायद गहलोत जानते हैं कि चाटुकार और मौक़ा परस्त पत्रकार इस संगठन में नहीं!!*_🙋‍♂️

 

_*शायद “जय जयकार” करने वालों को बाँटी गई हैं कृपायें!!*_🤔

 

_*संघठन के प्रदेश अध्यक्ष राठौड़ के सरकार की “नीतियों और नीयत” पर उठाए गए सवाल जायज़!*_ 💯

 

*✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

 

*राज्य सरकार ने हाल ही में राज्य के पत्रकारों को विभिन्न समितियों में स्थान दिया है। अच्छा लगा कि प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के सुझाव पर, सरकार चुनावों से पहले सोची-समझी नीति के तहत चुनाव प्रबंधन कर रही है ।*😊

*इस प्रबंधन में गुड़ की रेवड़ियाँ बाँटी गई हैं। अपने लोगों को उपकृत किया जा रहा है। पत्रकारों को भी इन “रेवड़ी वितरण” से जोड़ा गया है।*🤭

*आई एफ डब्ल्यू जे (इंडियन फैडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्) के अलावा लगभग सभी संगठन से जुड़े पत्रकारों को ओब्लाइज किया जा रहा है ।*😨

*विश्व के सबसे बड़े पत्रकार संघ को दरकिनार कर राज्य के चाटूकारों को तरज़ीह देना, सरकार की नीयत पर सवाल तो उठाता ही है।…. मगर दोस्तों!! मैं खुश हूँ!!ख़ुश हूँ इसलिए कि इस महान ऐतिहासिक संगठन को चाटुकारों की भीड़ में जगह नहीं दी गयी। पत्रकारों की विचारधारा पर सरकार ने ज़रा भी ध्यान नहीं दिया, इसकी भी मैं सराहना करता हूँ। पत्रकार चाहे किसी भी राजनीतिक विचारधारा का रहा हो, उसे सरकारी समितियों में लॉलीपॉप ज़रूर दी जानी चाहिए और गहलोत ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है।*🤪

*मकानों के आवंटन वाली समिति में तो ऐसे पत्रकार को शामिल कर लिया गया है जो घर बसाने के लिए खुद का घर फोड़ने के बाद ,दूसरों के घर फोड़ने में कामयाब रहा और दूसरे के चूल्हे पर अपनी रोटियाँ सेंकने लगा।*🙄

*मुख्यमंत्री गहलोत के इस चयन पर उन्हें दिल से बधाई देता है !*😃

*इंडियन फैडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट को गहलोत ने सिरे से ख़ारिज़ कर शायद यह पैगाम दिया है कि उन्होंने इस संगठन से जुड़े पत्रकारों को इसलिए समिति में शामिल नहीं किया कि वे उनका असली पत्रकारों के रूप में सम्मान करते हैं ।वे जानते हैं कि चाटुकारिता में यह वास्तविक पत्रकार संगठन कोई विश्वास नहीं रखता। इस संगठन के लोग “रेवड़ियाँ” नहीं खाते। इस संगठन के पदाधिकारी खुद्दारी से रह कर , “राज्य -आश्रय” से दूर रहते हैं।सरकारी ज़ुबान नहीं बोलते। सच का साथ देते हैं। झूठ बोलकर राजा की जय जयकार नहीं करते। गहलोत शायद जय जयकार करने वालों को ही पत्रकार मानते हैं ।यही वजह है कि उन्होंने जुझारू और बेबाक़ पत्रकारों को कहीं लायक नहीं समझा। महेश झालानी जैसे योग्य पत्रकारों को उन्होंने इसलिए अपनी कृपा से दूर रखा कि वे जानते थे कि ऐसे पत्रकार कृपाओं के लिए हमेशा अप्रस्तुत रहते हैं।*😣

*इंडियन फैडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के प्रांतीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उपेंद्र सिंह राठौड़ विगत कुछ दिनों से सरकार के इस रवैए से नाराज़ हैं। वह बराबर सरकार की “नियत और नीतियों” पर हमला कर रहे हैं। उनके हमले सच्चाई और सिद्धांतवादिता के पक्ष में हैं। वे “रेवड़ियाँ ” नहीं चाहते मगर ईमानदार संगठन की अनदेखी पर नाराज़ जरूर नज़र आते हैं। उनका तर्क सही है कि देश की पत्रकारिता को संगठन से जोड़ने वाला उनका संगठन ही पहला प्रयास था ।*🤨

*यहां आपको बता दूं कि इंडियन फैडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स, इस देश की सबसे पहली पत्रकारों की ऐसी संस्था है जिसने पत्रकारों को “ट्रेड यूनियन” के रूप में स्थापित किया।*💁‍♂️

*विश्व के “नॉन अलाइंस” क्षेत्र का यह पहला संगठन है जो 1950 में स्थापित हुआ। यानी कि देश की आज़ादी के मात्र 3 साल बाद। आज देश के 40,000 से भी अधिक पत्रकार इसके साथ हैं।प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लोग इसके सदस्य हैं । देश के 35 राज्यों में इसका जाल बिछा हुआ है। 17 भाषाओं के पत्रकार इसमें शामिल हैं। देश के हर ज़िले हर शहर में इसकी शाखाएं हैं। दुनिया के लगभग 47 मुल्कों में इसके सदस्य फैले हुए हैं।👍*

*यहां आपको यह भी बता दूं कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस संगठन को सबसे पहले सरकारी मान्यता दी ।इस संगठन को उन्होंने पत्रकारों के सम्मान के लिए सर्वाधिक उपयुक्त माना ।सरकारी फ़ैसलों और नीतियों में वे इसकी राय को शामिल करते रहे ।इस संगठन में देश के लगभग सभी ख्याती नाम पत्रकार जुड़े रहे।*🤝

*श्री उपेंद्र सिंह राठौड़ का दर्द यह है कि वह इतने बड़े संगठन की उपेक्षा देख नहीं पा रहे! सरकार की कृपा और दान दहेज के लिए उपेंद्र जी की नाराज़गी नहीं। ऐसी कृपाओं को वे और उनकी पूरी टीम, अपनी ठोकर में रखती है। वे योद्धा हैं और उनके युद्ध कौशल के ही कारण पत्रकारों के विभिन्न संगठनों के बीच उन्होंने अपनी अलग से पहचान बनाई है।*🙋‍♂️

*गहलोत सरकार इस संगठन के लोगों को चाटुकारों की जमात से जोड़ें, यह राठौड़ साहब का लक्ष्य नहीं , किंतु सरकारी आंखों पर चढ़ा चश्मा किसी एक रंग का हो,यह उन्हें स्वीकार नहीं।*❌

*यहां मैं भी उनके दृष्टिकोण का समर्थन करता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि सरकार अपनी धारणाओं और मान्यताओं में उनके संगठन को उचित सम्मान देगी। 👍*