November 3, 2024

नदी की स्वच्छता को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इसमें किसी भी प्रकार की केमिकल वस्तु, सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी वस्तुएं एवं शैंपू, सर्फ, बिस्किट, साबुन इत्यादि की पुड़िया को गंगा में न प्रवाहित करें-पुरुषोत्तम रूपाला-

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वाराणसी/दिनांक 19 अगस्त, 2022 (सू0वि0)

 

*नदी की स्वच्छता को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इसमें किसी भी प्रकार की केमिकल वस्तु, सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी वस्तुएं एवं शैंपू, सर्फ, बिस्किट, साबुन इत्यादि की पुड़िया को गंगा में न प्रवाहित करें-पुरुषोत्तम रूपाला*

 

*कार्यक्रम का उद्देश्य गंगा नदी की जैव विविधता को बनाए रखने एवं मछुआरों के बेहतर जीविकोपार्जन को उचित दिशा देना हैं*

 

*गंगा नदी के समग्र मत्स्य विकास के लिए ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के तहत मत्स्य रैन्चिंग, डॉल्फिन एवं जल संरक्षण और जन जागरूकता कार्यक्रम का हुआ आयोजन*

 

*अस्सी घाट पर गंगा नदी में 2 लाख से अधिक (रोहू, कतला और मृगल) फिंगरलिंग (अंगुलिकाओं) को छोड़ा गया*

 

*गंगा नदी के अलग-अलग क्षेत्रों में 56 लाख से अधिक देसी गंगा कार्प (रोहू, कतला और मृगल) फिंगरलिंग (अंगुलिकाओं) को गंगा नदी में छोड़ा जा चुका हैं*

 

*कालबासु, कतला, मृगल और रोहू जैसी मछलियाँ न केवल नदी के स्टॉक में वृद्धि करेंगी, बल्कि नदी की स्वच्छता को बनाए रखने में भी मदद करेंगी*

 

वाराणसी। “75वें आजादी का अमृत महोत्सव” के अंर्तगत भाकृअनुप-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर (पश्चिम बंगाल) ने ‘राष्ट्रीय स्तर पर रैन्चिंग कार्यक्रम-2022’ को बड़े धूमधाम से मनाया। इस आयोजन को महत्वपूर्ण बनाने के लिए शुक्रवार को अस्सी घाट पर गंगा नदी के समग्र मत्स्य विकास के लिए ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के तहत मत्स्य रैन्चिंग, डॉल्फिन एवं जल संरक्षण और जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में केंद्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला, डॉ. जे.के.जेना, उप महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान) आईसीएआर, जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा, पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश ने सभा को संबोधित किया। केंद्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने आम नागरिको से अपील किया कि नदी की स्वच्छता को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इसमें किसी भी प्रकार की केमिकल वस्तु, सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी वस्तुएं एवं शैंपू, सर्फ, बिस्किट, साबुन इत्यादि की पुड़िया को गंगा में न प्रवाहित करें। इससे न केवल गंगा प्रदूषित होती है बल्कि नदी में रहने वाले जीवों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। उप महानिदेशक महोदय ने मछलियों के संरक्षण में सरकार के साथ-साथ समाज की भागीदारी पर जोर दिया। वर्तमान भाकृअनुप-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर के निर्देशक और ‘नमामि गंगे’ परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. बसंत कुमार दास ने स्थानीय मछुआरों को गंगा नदी में प्राप्त मछलियों और डॉल्फिन के स्वास्थ्य और संरक्षण के पारिस्थितिक विषयों के बारे में जागरूक किया। परियोजना के एक हिस्से के रूप में चार अलग-अलग राज्यों को कवर करते हुए गंगा नदी के अलग-अलग क्षेत्रों में 56 लाख से अधिक देसी गंगा कार्प (रोहू, कतला और मृगल) फिंगरलिंग (अंगुलिकाओं) को गंगा नदी में छोड़ा जा चुका हैं। इस कार्यक्रम के आज अस्सी घाट पर गंगा नदी में 2 लाख से अधिक (रोहू, कतला और मृगल) फिंगरलिंग (अंगुलिकाओं) को छोड़ा गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य गंगा नदी की जैव विविधता को बनाए रखने एवं मछुआरों के बेहतर जीविकोपार्जन को उचित दिशा देना हैं।

“राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन” प्रायोजित परियोजना के प्रमुख उद्देश्यों में मछली की विविधता का अन्वेषण, सर्वेक्षण, बहुमूल्य मछलियों जैसे-रोहू, कतला, मृगल, कालबासु और माहसीर के स्टॉक मूल्यांकन के साथ-साथ चयनित मछली प्रजातियों के बीज का उत्पादन और उसके स्टॉक में वृद्धि शामिल है। कालबासु, कतला, मृगल और रोहू जैसी मछलियाँ न केवल नदी के स्टॉक में वृद्धि करेंगी बल्कि नदी की स्वच्छता को बनाए रखने में भी मदद करेंगी।