December 10, 2024

जय भारत मंच: का सभी कार्यकर्त्ताओ कै विचारनार्थ सभावित दृष्टिकोण –

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जय भारत मंच: का सभी कार्यकर्त्ताओ कै विचारनार्थ सभावित दृष्टिकोण

 

1- आत्मवत सर्वभुतेषु वसुदेवकुटुम्बकम् या कुनफयकुन या एकस के हम वारिस अव्वल अल्ला नूर उपाया, क़ुदरत दे सब वंदे।

एक नूर ते सब जग उपज्यां , कौन भले कौन मंदे। सरल शब्दों में हम कह सकते हैं कि हम सब का मालिक एक है इस भाव विचार में सभी भारतीयों को लाना।

 

2- “संघे शक्ति कलयुगे” कलयुग मे संगठन मे ही शक्ति है।

जात नहीं जमात बनें।

 

3- यदि हमें मजबुत बनना है या समाज को मजबुत बनाना है तो समाज के सबसे न्युनतम इकाई “परिवार” को मजबुत करना होगा !

 

4- “धर्मों रक्षित रक्षतः”

हमे जितने भी अधिकार प्राप्त है, वह सब कर्तव्य पुर्ति के लिए है।जब हम अपने कर्तव्यों की रक्षा करगे तो स्वतः हमारी रक्षा हो जायेगी।

5- हम प्रत्येक इंसान को आलिम/ आचार्य बनेंगे तो हम असली इंसान बनेंगे ।यानि हम आचरण व्यवहार पर खरे उतरे !हम मन्दिर,मस्जिद,गुरूद्वारा व चर्च मेअच्छे सनातनी,मुस्लिम,शिख व ईसाई बनें पर जब सडकों पर निकले तो अच्छे हिन्दुस्तानी बनकर निकले!

 

6- हमें सभी इंसान को चार दस्तरखान पर बैठना बैठाना हैं

चार आवश्यकता या भूख मिटानी हैं!

1/- जिस्मानी दस्तरखान( अर्थ)शरीर सम्बन्धी आवश्यकता

 

2/- दिली दस्तरखान (कर्म)इन्द्रिय सम्बन्धित आवश्यकता

 

3/- जैहनी दस्तरखान (धर्म)दिमाग़ सम्बन्धित आवश्यकता

 

4/- रुहानी दस्तरखान(मोक्ष)रूह या आत्मा सम्बन्धित आवश्यकता

 

7- जननी व जन्म भुमि का स्थान सर्वोपरि है।क्योकि ईश्वर ने हमे दोनो कृपा करके दी है जननी व धरती माता के अतिरिक्त ईश्वर ने हमें और सात माताएँ का आशीर्वाद प्राप्त कराया है जिसमें

 

1/- प्रकृति या कुदरत माता

 

2/- नदी माता

 

3/- ब्रह्मांडी माता

 

4/- गो माता

 

5/- शारदा माता (ज्ञान व सस्कृति माता)

 

6/- शक्ति माता

 

7/- लक्ष्मी माता

 

8- “हिन्दु मुस्लिम सिक्ख ईसाई- आपस में हम सब भाई भाई ”

एक जन-एक राष्ट्र के भाव को खंडित करता है।हमारा एक हिन्द- जय हिन्द का नारा रहेगा ।जब हम सब के बाबा एक है तो तो फिर हम सब एक रहेगे।ये नारा अंग्रेजों द्वारा भारतीयो को बांटने के लिए बनाया गया था हमारा देश धर्मनिरपेक्ष नहीं सर्वपंथ समादर वाला देश है

 

9- दुनिया में हर इंसान को ईश्वर ने दवा, दुआ और हमदर्दी के लिए भेजा है ।हमारा प्रत्येक कर्तव्य चार कसौटी पर खरा उतरना है।यदि इन चारो बिन्दुओ पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन हो रहा है तो सही कार्य होगा।

 

1- धर्म की जय हो।

 

2- अधर्म का नाश हो।

 

3- प्राणियों में सद्भावना।

 

4- विश्व का कल्याण हो ।

 

10- सभी उपायों को करके हमारे बीच परायापन को समाप्त कर अपनापन लाने हेतु कार्य सुनिश्चित हो भारतीयों के बीच

 

11- हमारी पहचान देश में अपनतत्व की बने तथा विश्व में हिन्दुत्व/ भारतीतत्व की बने।

 

12- अब हमें अपने देश को “सोने की चिड़िया ” नहीं बनायेगे बल्कि हमें अपने देश को ” सोने का शेर ” बनाना है।

 

13- जय भारत मंच भारतीय नागरिकों मे भारतीयता की चमक बढ़ाकर ऐसै भारतीयों को सामने लाना चाहता है जो स्वाभाविक रुप से –

 

1- सुसंस्कृत हो

 

2- सुशिक्षित हो

 

3- सुरक्षित हो

 

4- सम्पन्न हो

 

5- सेवा परायण हो

 

6- स्वस्थ हो

 

7- सर्वहितप्रद व्यक्ति व समाज की संरचना

 

14- भारत / राष्ट्र कैसा होना चाहिए- –

जैसे पहले भारत था,भारत का सहज स्वरुप क्या है हमे समझना होगा ।

 

1- विश्वहृदय भारत

 

2- धर्म नियंत्रित

 

3- पक्षपात विहिन

 

4- शोषण मुक्त

 

5- सनातन

 

6- सिद्धांत व नीतियुक्त भारत

 

7- हमारी पहचान चारों पुरूषार्थ को पुरा करने वाले भारतीय के रुप विश्व में हो

 

15- हमारा भारत दार्शनिक,वैज्ञानिक व व्यावहारिक हो

 

16- हमें भारत में ऐसे कानुन चाहिए जो अपराध को होने से रोकते हो।

 

17- अखंड व धर्म मंडित(अपने कर्तव्यों को पुर्ण करने वाला)भारत

 

18- गोवध का कलंक सम्पुर्ण राष्ट्र से मिट जाये।रक्त का एक भी बुंद गो माता का धरती पर ना गिरे ऐसा भारत सुनिश्चित करना जय भारत मंच का लक्ष्य है।

 

19- राम राज्य और निजामे मुस्तफा में कोई अंतर नहीं है।

 

20- शिक्षा जीवन के लिए, जीवन देश व मुक्ति के लिए

 

21- हिन्दुस्तान का कोई भी कडी कमजोर रहेगा तो हिन्दुस्तान कमजोर रहेगा।इस बात का ध्यान सभी भारतीयों को कराना है।जिस तरह हमारे दिलो व घरों मे गीता,कुरान,गुरूगर्न्थसाहिब व बाइबिल रहता है उसी सम्मानजनक ढग से भारत का सविंधान भी हो !

 

 

 

22- “सबरे धरती गोपाल की”

 

सारे सृष्टि, कायनात परम ईश्वर अल्लाह की है।पुरी सृष्टि,कायनात मानव के लिए नही मानवता के लिए बनाई गई है।इस भाव को जागृत करना है।अगर कार्यकर्त्ता ओर सुझाव देना चाहते तो स्थानिय स्तर पर सभी से विचार-विमर्श करके हमे भेजे !गिरीश जुयाल