क्षेत्र के ग्रामीण इलाके मे छुट्टा पशुओ के आतंक से किसान परेशान है अपनी फ़सल को बचाने को लेकर दिन भर अपने खेतो कि रखवाली करते है और रात्रि जागरण भी करते है उसके बाद भी तैयार गेहूं कि फ़सल को छुट्टा पशु खा तो रहे ही फसलों को रौद भी दे रहे है सब्जिओ को तो पूछने कि हाल ही नहीं लागत निकलना मुश्किल हो गया है फसलों के लिए किसी बीमारी या आपदा से कम नहीं इन छुट्टा पशुओ से आहत क्षेत्र के किसान अजय कुमार के अनुसार खरीफ कि फ़सल को छुट्टा पशु चट कर गये अब रबी कि फ़सल कि बारी अब कैसे अगली फ़सल कि हो पायेगी बुआई
क्षेत्र के किसान शिवशंकर, जटाशंकर, फौजदार, सूबेदार, सोनू, इंद्रजीत, पवन,पप्पू, गुड्डू आदि किसान सरकार का ध्यानाकर्षण कराकर इस समस्या से निजात पाना चाहते है
इन लोगो का कहना है कि लागत निकलना तो दूर अब अपने खाने के लिए अन्न व हरि सब्जिया पैदा करना दिन मे तारे दिखाई पड़ना चरितार्थ हो गया है
इन लोगो से बातचीत से पता चला कि अगर ऐसे ही छुट्टा पशुओ कि संख्या बढ़ती गयी तो वह दिन दूर नहीं कि किसान खेती बंद कर आत्म हत्या करना न शुरू कर दे
किसानो व ग्रामीणों के अनुसार पहले नील गाय व घडरोज से वैसे ही परेशान थे तब तक इन छुट्टा पशु तो आग मे घी का काम कर रहे है जिससे किसान आजीज व तंग आ चुके है अब इनके समझ मे नहीं आ रहा है आखिर क्या करे।
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