*चार्जशीट जारी होने पर नियुक्ति के लिए अपराध से बरी होना आवश्यक -हाईकोर्ट*
प्रयागराज, । इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोप में आरोपित को पुलिस फोर्स में नियुक्ति न कराने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि पुलिस का चरित्र व विश्वसनीयता सही होनी चाहिए। अपराध में बरी होने तक नियुक्ति पाने का अधिकार नहीं है। स्क्रीनिंग कमेटी के फैसले पर हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने सुधीर कुमार की याचिका पर दिया है।
*चयन पूरा होने के बाद अंतिम चरण में अभ्यर्थी ने कर दी आपराधिक हरकत*
याची ने चयन की सारी बाधाए पार कर ली, लेकिन अंतिम नियुक्ति में उसके आचरण ने स्वयं ही अवरोध उत्पन्न कर दिया। उसके खिलाफ अपहरण, धोखाधड़ी, षड्यंत्र, नाबालिग से दुष्कर्म करने के गंभीर आरोप में पुलिस चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। इससे पहले कोर्ट ने अवतार सिंह केस के फैसले के आलोक में विचार करने का निर्देश दिया था। उसे अस्वीकार कर दिया गया तो यह याचिका दायर की गई। याची को नियुक्त करने की अनुमति नहीं दी गई।
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