June 15, 2025

कुछ नेताओं की वाणी विलास देख कर आती शर्म-

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*कुछ नेताओं की वाणी विलास देख कर आती शर्म..!!*

 

*आदर्श की बात करने से नहीं होता है कुछ…!*

 

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व्यक्ति को समाज और राष्ट्र के साथ जीना पड़ता है समाज और राष्ट्र से वह सुरक्षा प्रेरणा और सहयोग पाता ही रहता है देश की सत्ता के गलियारों में घूमने वालों में प्रश्नचिह्न लगने लगा है! संविधान की समीक्षा करने की जरूरत है! देश ने अपनी आजादी बलिदान अहिंसा और सत्याग्रह से प्राप्त की थी मगर सत्ता के भूखे लोग सत्ता मिलने से खुश हो गए!उन्होंने प्रतिष्ठा पाने और देश को लूटने के लिए हिंसा का सहारा लिया! सत्ता का संघर्ष प्रत्येक युग में होता रहा है! विश्व के अनेक देशों में सत्ता के लिए खूनी संघर्ष हुए हैं! सब देख रहे हैं कि चुनावों में अवैध तरीके अपनाए जाते हैं नेताओं का वाणी विलास देख कर शर्म आती है! सांसदों और विधायकों को मोल भाव से खरीदा जाता है क्या यह उचित है? जीतता कोई है और सत्ता पर अधिकार कोई दूसरा करता है! आज भी देश में हजारों लोग हैं जो अहिंसा के कायल हैं जियो और जीने दो की धारणा पर चलते हैं फिर भी विरोध के स्वर उठते हैं हड़ताल और आंदोलन होते हैं सरकारो को भी कठघरे में लिया जाता है जनबल के समक्ष सत्ता के शिखर पर बैठे लोग चुपचाप पाला बदलने में संकोच नहीं करते हैं एक पार्टी छोड़ दूसरी पार्टी में चले जाते हैं चाहे किसी भी दल का शासन हो पर सभी की भावना राष्ट्रसेवा जनसेवा की रहनी चाहिए देश के नेताओं को आदर्श उपस्थित करना चाहिए क्योंकि आने वाली पीढ़ी उनसे कुछ सीख सके मात्र आदर्श की बात करने से कुछ नहीं होता है! गांधीजी की तरह उसे कार्य रूप में ढालने की आवश्यकता है।

 

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