*करबला ए मोअल्ला मे भारतीय झण्डा तिरंगा लेकर ज़ायरीन नजफ से करबला तक कर रहे पैदल मार्च*
इन दिनो जहाँ प्रयागराज मे इमाम हुसैन की शहादत मे आरबईन के मौक़े पर जहाँ मजलिस मातम जुलूस व शब्बेदारीयाँ हो रही हैं वहीं देश भर से हज़ारों लोग अरबईन के मौक़े पर करबला मे रौज़ा ए इमाम हुसैन की ज़ियारत को पहुँच चुके हैं।प्रयागराज से भी कई क़ाफले रौज़ा ए मुक़द्दसा की ज़ियारत को गए है उनमे जहाँ करबला के 72 शहीदों के रौज़े की ज़ियारत की ललक है तो वही कुछ ऐसे भी हैं जो भारतीय तिरंगा झण्डा साथ लेकर करबला गए है सैय्यद इफ्तेखार हुसैन के दामाद इन्तेज़ार मेंहदी भी परिजनो के साथ दिल्ली से ज़ियारत को गए हैं वह प्रयागराज के मुस्तफाबाद सादात से ताल्लुक़ रखते हैं जो पैदल ज़ायरीनो के जत्थे के साथ काले लिबास आँखों मे अश्क और अपने इमाम के रौज़े की ज़ियारत का दिल मे जज़बा पाले हुए एक हाँथ मे तिरंगा लेकर नजफ से करबला तक पैदल चल कर जा रहे हैं।ऐसे और भी बहुत से लोग है जिनमे भारतीय होने का जज़बा हिलोरे मार रहा हैं ।उम्मुल बनीन सोसाईटी के महासचिव सैय्यद मोहम्मद अस्करी के मुताबिक़ आखिर क्यूँ न हो भारत से मुहब्बत। इमाम हुसैन को जब यज़ीदी लश्कर ने चारों ओर से घेर लिया और यह आभास हुआ की अब इस सरज़मी पर कत्ल कर दिए जाएँगे तो इमाम हुसैन ने यज़ीदी लश्कर के पास यह पैग़ाम भेजा की हम लोग जंग नहीं चाहते हमे हिन्द चले जाने की इजाज़त दे दो लेकिन यज़ीद ने इजाज़त नहीं दी और खानदाने रिसालत को तीन दिन का भूखा प्यासा शहीद कर दिया।इन दिनो इमाम हुसैन के चालिसवें पर करबला ए मोअल्ला मे दुनिया भर के लाखों लोग ज़ियारत ए रौज़ा ए मुक़द्दसा को करबला मे मौजूद हैं।जब्कि इराक़ के हालात ठीक नहीं है वहाँ आतंकवादी गतिविधियां चरम फर हैं बम धमाके के बीच लोगों के इमाम हुसैन से रक़बत और मुहब्बत का तक़ाज़ा है की हर वर्ष लोगों की तादाद बढ़ती ही जा रही है|
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