*भीड़ में सिर तो बहुत होते पर सोचने समझने की शक्ति किसी में नहीं..!*
*आम आदमी का पुलिस प्रशासन या कानून व्यवस्था पर कोई भरोसा नहीं रह गया..?*
*हर धर्म में यही शिक्षा दी जाती कि हमें शांति और भाईचारे से रहना चाहिए..!*
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पिछले कुछ दिनों में पंजाब में दो लोगों की भीड़ ने पीट पीटकर हत्या कर दी गई! कारण यह बताया गया कि इन लोगों ने पवित्र स्थान पर कुछ धार्मिक चिह्नों की बेअदबी की थी! हमारे देश में ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है जब भीड़ द्वारा किसी की जान ले ली गई हो कभी छेड़छाड़ के नाम पर कभी गोमांस के नाम पर कभी लूट पाट या चोरी के नाम पर! पहले भी कुछ लोग भीड़ का शिकार होते रहे हैं!ऐसा लगता है कि आम आदमी का पुलिस प्रशासन या कानून व्यवस्था पर कोई भरोसा नहीं रह गया है!लेकिन अगर भीड़ को ही सड़कों पर उतर कर फैसले करने हैं तो पुलिस प्रशासन या कानून व्यवस्था की क्या जरूरत है? उस भीड़ में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं होता जो इस तरह की घटनाओं को रोकने की कोशिश करता हो!कोई भी धर्म या कोई भी मजहबी ग्रंथ इस तरह से कानून को अपने हाथ में लेने की या इस तरह से किसी की हत्या की इजाजत नहीं देता होगा!हर धर्म दूसरे को क्षमा करने की सीख देता है! हर धर्म में यही शिक्षा दी जाती है कि हमें शांति और भाईचारे से रहना चाहिए! यहां तक कि पशुओं से भी प्रेम की भावना हो ऐसी सीख दी जाती है! लगता है कि भीड़ में सिर तो बहुत होते हैं पर सोचने समझने की शक्ति किसी में नहीं होती।
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